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ग़ज़ल
चाँद बिना हर दिन यूँ बीता जैसे युग बीते
मेरे बिना किस हाल में होगा कैसा होगा चाँद
राही मासूम रज़ा
ग़ज़ल
इतनी मुद्दत बा'द मिले हो कुछ तो दिल का हाल कहो
कैसे बीते हम बिन प्यारे इतने माह-ओ-साल कहो