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ग़ज़ल
तुम्हारे होंटों पे बस मेरा नाम ज़िंदा रहे
तुम्हारे साथ बिताई ये शाम ज़िंदा रहे
बुशरा बख़्तियार ख़ान
ग़ज़ल
उस ने बिताई साथ में हैं छुट्टियाँ अभी
दो-चार दिन ही बीते हैं हफ़्ता नहीं हुआ
तारिक़ इस्लाम कुकरावी
ग़ज़ल
मुझ को मेरे हाल पे छोड़ो जो बीती सो बीत गई
दुनिया-भर से कौन कहे ये ग़म की बड़ी रुस्वाई है