आपकी खोज से संबंधित
परिणाम "bu.aa"
ग़ज़ल के संबंधित परिणाम "bu.aa"
ग़ज़ल
डरे क्यूँ मेरा क़ातिल क्या रहेगा उस की गर्दन पर
वो ख़ूँ जो चश्म-ए-तर से उम्र भर यूँ दम-ब-दम निकले
मिर्ज़ा ग़ालिब
ग़ज़ल
बुआ मिट्टी है घर में सोने चाँदी की अगर सिल हो
मज़ा तो ज़िंदगी का जब है कुछ दौलत हो कुछ दिल हो
शैदा इलाहाबादी
ग़ज़ल
करते क्या क्या नहीं वो रंज के सामाँ सर पर
रखते ला ला हैं बुआ रोज़ मुग़ल जाँ सर पर
मोहसिन ख़ान मोहसिन
ग़ज़ल
ख़ातिर-ए-हुस्न-ए-गुल-ए-तर आगे जाना है अबस
जानिब-ए-बलिया बुआ गुलहा-ए-बक्सर देख कर