आपकी खोज से संबंधित
परिणाम "bune"
ग़ज़ल के संबंधित परिणाम "bune"
ग़ज़ल
जाने क्या क्या ख़्वाब बुने थे, पहले सावन में, मैं ने
जाने इस पर क्या क्या लिक्खा पहली पहली बारिश में
ख़ालिद मोईन
ग़ज़ल
कोई फूलों से ख़ुश्बू को आ के चुने कोई गजरे बुने
ये मोहब्बत है इस में ख़सारा नहीं वो हमारा नहीं
फ़ाख़िरा बतूल
ग़ज़ल
दत्ता साग़र
ग़ज़ल
वक़्त महँगा हो रहा था लफ़्ज़ भी कमयाब थे
शाइ'रों को ख़्वाब बुनने में भी आसानी न थी
अदनान मोहसिन
ग़ज़ल
देख तू ऐ बुत-ए-बे-मेहर तिरी फ़ुर्क़त में
हर-बुन-ए-मूए मिरा दीदा-ए-तर है कि नहीं