आपकी खोज से संबंधित
परिणाम "but-saaz"
ग़ज़ल के संबंधित परिणाम "but-saaz"
ग़ज़ल
और कोई बात सर-ए-बज़्म-ए-सुख़न कब निकली
बस तिरी बात ही निकली है यहाँ जब निकली
मेहदी बाक़र ख़ान मेराज
ग़ज़ल
मेरे दिल को वो बुत-ए-दिल-ख़्वाह जो चाहे करे
अब तो दे डाला उसे अल्लाह जो चाहे करे
अकबर इलाहाबादी
ग़ज़ल
इज़्तिराब-ए-क़ल्ब है और इश्क़ का आग़ाज़ है
इब्तिदा-ए-नग़्मा मानूस-ए-शिकस्त-ए-साज़ है
मोहम्मद उमर
ग़ज़ल
मुज़्दा ऐ का'बा-ओ-बुत-ख़ाना मिरा हुस्न-ए-नज़र
बुत-तराशी में भी माहिर है ख़ुदा-साज़ भी है
कुँवर महेंद्र सिंह बेदी सहर
ग़ज़ल
आता है किस अंदाज़ से टुक नाज़ तो देखो
किस धज से क़दम पड़ता है अंदाज़ तो देखो
मुसहफ़ी ग़ुलाम हमदानी
ग़ज़ल
ये किस की चश्म-ए-फ़ुसूँ-साज़ का करिश्मा है
कि टूट कर भी सलामत हैं दिल के बुत-ख़ाने
सूफ़ी ग़ुलाम मुस्ताफ़ा तबस्सुम
ग़ज़ल
होश नहीं है दोश का जल्वा-गह-ए-नमाज़ में
सर ही का कुछ पता नहीं सज्दा-ए-बे-नियाज़ में
आरज़ू सहारनपुरी
ग़ज़ल
हम 'मुंतज़िर' इतना न समझते थे उसे लेक
ख़ूब उस बुत-ए-ख़ुद-साज़ को देखा तो ग़ज़ब है