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ग़ज़ल
वो जिन के पाँव में चल चल के पड़ गए छाले
वो राह-ए-इश्क़ नहीं भूक के मुसाफ़िर हैं
अब्दुल्लाह नदीम
ग़ज़ल
दिन गुज़रते हैं मह-ओ-साल गुज़र जाते हैं
वक़्त के पाँव भी चल चल के थके जाते हैं