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ग़ज़ल
सीने में दिल मिसाल-ए-चमन-दर-चमन तो हो
जो ज़ख़्म हो हरीफ़-ए-गुल-ओ-यासमन तो हो
मंशाउर्रहमान ख़ाँ मंशा
ग़ज़ल
अब भी है हम को अहल-ए-चमन बस उन्हीं से प्यार
इस दिल को बार बार दुखाने के बअ'द भी
अशहद बिलाल इब्न-ए-चमन
ग़ज़ल
इब्न-ए-चमन है तेरी वफ़ाओं पे जाँ-निसार
अपना बना के तू ने मुकम्मल क्या मुझे
अशहद बिलाल इब्न-ए-चमन
ग़ज़ल
ये रंगीं सुब्ह चमन-दर-चमन हैं खिलते फूल
तू आ गया तो हुए दिन भी ये सुहाने से
सय्यदा फ़ातिमा रिज़वी
ग़ज़ल
राज़ इलाहाबादी
ग़ज़ल
इरफ़ान सत्तार
ग़ज़ल
हर शाख़ में है जल्वा-ए-शाख़-ए-निहाल-ए-तूर
भड़काई है ये आतिश-ए-गुल ने चमन में आग