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ग़ज़ल
असलम गुरदासपुरी
ग़ज़ल
असलम गुरदासपुरी
ग़ज़ल
चल तू जीता मान लिया ना आ तू मुझ को हारा देख
मैं क़िस्मत वाले को देखूँ तू क़िस्मत का मारा देख
इक़बाल असलम
ग़ज़ल
गूँज रहा था हर पल हर-सू अल्लाह-हू हक़ अल्लाह-हू
बाँध लिया मैं ने भी घुँगरू अल्लाह-हू हक़ अल्लाह-हू
इक़बाल असलम
ग़ज़ल
आँसुओं के साथ आख़िर बह गई शाम-ए-अलम
जाने क्या क्या ख़्वाब बुनती रह गई शाम-ए-अलम