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ग़ज़ल
नुमायाँ हो के दिखला दे कभी उन को जमाल अपना
बहुत मुद्दत से चर्चे हैं तिरे बारीक-बीनों में
अल्लामा इक़बाल
ग़ज़ल
शहर में धूम है इक शोला-नवा की 'मख़दूम'
तज़्किरे रस्तों में चर्चे हैं परी-ख़ानों में
मख़दूम मुहिउद्दीन
ग़ज़ल
क्या कहूँ अंजुमन-ए-नाज़ का हाल ऐ 'बिस्मिल'
सब के चर्चे रहे बस ज़िक्र तुम्हारा न रहा
बिस्मिल इलाहाबादी
ग़ज़ल
चार जानिब जिस की रा'नाई के चर्चे हैं 'क़तील'
जाने कब देखेंगे हम उस आने वाली कल का रंग
क़तील शिफ़ाई
ग़ज़ल
वही चर्चे वही क़िस्से मिली रुस्वाइयाँ हम को
उन्ही क़िस्सों से वो मशहूर हो जाए तो क्या कीजे
अमीता परसुराम मीता
ग़ज़ल
वो जिस की जुरअत-ए-पर्वाज़ के चर्चे बहुत थे
वही ताइर हमें बे-बाल-ओ-पर क्यूँ लग रहा है
इफ़्तिख़ार आरिफ़
ग़ज़ल
बड़े चर्चे हैं 'आलम' आप की ख़ाना-ख़राबी के
ख़ुदा का शुक्र है मक़्ते में आ कर बैठ जाते हैं
मुकेश आलम
ग़ज़ल
वो क़ुलक़ुल-ए-मीना में चर्चे मिरी तौबा के
और शीशा-ओ-साग़र की मय-ख़ाने में सरगोशी
बेदम शाह वारसी
ग़ज़ल
बहुत चर्चे थे यारों में मिरी जादू-बयानी के
हुज़ूर-ए-दोस्त मेरी बे-ज़बानी देखते जाओ