आपकी खोज से संबंधित
परिणाम "chare"
ग़ज़ल के संबंधित परिणाम "chare"
ग़ज़ल
हक़ीक़त में मैं बुलबुल हूँ मगर चारे की ख़्वाहिश में
बना हूँ मेम्बर-ए-कौंसिल यहाँ मिठ्ठू मियाँ हो कर
अकबर इलाहाबादी
ग़ज़ल
शराब पी चुके बे-चारे को इजाज़त दो
खड़ा है देर से रुख़्सत को ऐ निगार लिहाज़
परवीन उम्म-ए-मुश्ताक़
ग़ज़ल
बा'द-ए-फ़िराक़ रंग-ए-वस्ल होता है 'ऐन इम्बिसात
मेरा वो राहत-ए-रवाँ दिल से हुआ दो-चार-ए-शब
पंडित जवाहर नाथ साक़ी
ग़ज़ल
दुआओं का असर माँ के लबों से फूट पड़ता है
मैं जब बे-चारा होता हूँ कई चारे निकलते हैं
वसीम फ़रहत अलीग
ग़ज़ल
दुआओं का असर माँ के लबों से फूट पड़ता है
मैं जब बे-चारा होता हूँ कई चारे निकलते हैं
वसीम फ़रहत अलीग
ग़ज़ल
किसी का हाथ दामन पर किसी का सर गरेबाँ में
ये दीवाने भी गुल-छर्रे उड़ाते हैं बयाबाँ में
क़ैसर हैदरी देहलवी
ग़ज़ल
दुआ दिल से निकलती है तो चाँदी डाल देता है
ख़ुदा चाहे तो हर सीपी में मोती डाल देता है
क़यामुद्दीन क़याम
ग़ज़ल
उग रही हैं सिर्फ़ नफ़रत की कटीली झाड़ियाँ
भाई-चारे की ज़मीं कितनी है बंजर आज-कल