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ग़ज़ल
हम साँझ समय की छाया हैं तुम चढ़ती रात के चन्द्रमाँ
हम जाते हैं तुम आते हो फिर मेल की सूरत क्यूँकर हो
इब्न-ए-इंशा
ग़ज़ल
आशोब-ए-जुदाई क्या कहिए अन-होनी बातें होती हैं
आँखों में अंधेरा छाता है जब उजाली रातें होती हैं
आरज़ू लखनवी
ग़ज़ल
ब़ाँबी नागिन, छाया आँगन, घुंघरू छन-छन, आशा मन
आँखें काजल, पर्बत बादल, वो ज़ुल्फ़ें और ये बाज़ू