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ग़ज़ल
क़यामत आन है इस वक़्त में उन पर नज़ाकत की
देखो आई हैं दिखने किस झमक सीं ये छिनाल अँखियाँ
आबरू शाह मुबारक
ग़ज़ल
अमीर ख़ुसरो
ग़ज़ल
ऐ शजर-ए-हयात-ए-शौक़ ऐसी ख़िज़ाँ-रसीदगी
पोशिश-ए-बर्ग-ओ-गुल तो क्या जिस्म पे छाल भी नहीं
जौन एलिया
ग़ज़ल
कहीं आबलों के भँवर बजें कहीं धूप-रूप बदन सजें
कभी दिल को थल का मिज़ाज दे कभी चश्म-ए-तर को चनाब कर
मोहसिन नक़वी
ग़ज़ल
छीना था दिल को चश्म ने लेकिन मैं क्या करूँ
ऊपर ही ऊपर उस सफ़-ए-मिज़्गाँ में पट गया
नज़ीर अकबराबादी
ग़ज़ल
गेहूँ चावल बाँटने वाले झूटा तौलें तो क्या बोलें
यूँ तो सब कुछ अंदर बाहर जितना तेरा उतना मेरा
निदा फ़ाज़ली
ग़ज़ल
काना ख़ुदा ने कर दिया इस में है अपनी क्या ख़ता
गाली बकेंगे ख़ूब हम कोई हमें चिड़ाए क्यों