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ग़ज़ल
चाय में चीनी मिलाना उस घड़ी भाया बहुत
ज़ेर-ए-लब वो मुस्कुराता शुक्रिया अच्छा लगा
अमजद इस्लाम अमजद
ग़ज़ल
साहिर लुधियानवी
ग़ज़ल
साहिर लुधियानवी
ग़ज़ल
क़तरा-हा-ए-ख़ून-ए-बिस्मिल ज़ेब-ए-दामाँ हैं 'असद'
है तमाशा करदनी गुल-चीनी-ए-जल्लाद याँ
मिर्ज़ा ग़ालिब
ग़ज़ल
ले के आई तो सबा उस गुल-ए-चीनी का पयाम
वो सही ज़ख़्म की सूरत लब-ए-ख़ंदाँ तो खुला
मजरूह सुल्तानपुरी
ग़ज़ल
नज़ीर अकबराबादी
ग़ज़ल
बाग़बाँ से छुप के गुल-चीनी जो की तो क्या किया
आँख बुलबुल की बचा कर फूल तोड़ा चाहिए
हैदर अली आतिश
ग़ज़ल
इन से मत पूछो कि मंज़िल तुम से क्यूँ छीनी गई
इन को मत छेड़ो ये मीर-ए-कारवाँ के लोग हैं
इक़बाल अज़ीम
ग़ज़ल
इक़बाल अज़ीम
ग़ज़ल
मरमर का पत्थर बन जाती है जब पूरे चाँद की रात
अपनी नज़रों की छीनी से मूरतें घड़ता रहता हूँ
अमीक़ हनफ़ी
ग़ज़ल
नुक्ता-चीनी पर मिरी तुम इतने बरगश्ता न हो
कह दिया जो कुछ भी दिल में था मगर साज़िश न की