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ग़ज़ल
वो पढ़ाते वक़्त दर्जे में हज़ार बार बरसे
जो मुझे भी छींक आती उन्हें नागवार होता
कैफ़ अहमद सिद्दीकी
ग़ज़ल
अहमद जहाँगीर
ग़ज़ल
होश वालों को ख़बर क्या बे-ख़ुदी क्या चीज़ है
इश्क़ कीजे फिर समझिए ज़िंदगी क्या चीज़ है
निदा फ़ाज़ली
ग़ज़ल
कहीं चाक-ए-जाँ का रफ़ू नहीं किसी आस्तीं पे लहू नहीं
कि शहीद-ए-राह-ए-मलाल का नहीं ख़ूँ-बहा उसे भूल जा