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ग़ज़ल
जाना नहीं कुछ जुज़ ग़ज़ल आ कर के जहाँ में
कल मेरे तसर्रुफ़ में यही क़ित'आ ज़मीं था
मीर तक़ी मीर
ग़ज़ल
मिरे हम-नफ़स मिरे हम-नवा मिरी ज़िंदगी का हर एक पल
है उदास कित्ता तू देख ले तिरी इक नज़र की तलाश है
हलीमा सादिया शगुफ़्ता
ग़ज़ल
कहते हैं अहद-ए-सलफ़ में था कोई ऐसा मकाँ
क़ितआ-ए-ख़ुल्द उस का एक इक कुंज और काशाना था
नज़ीर अकबराबादी
ग़ज़ल
आबरू शाह मुबारक
ग़ज़ल
लोरी से 'एजाज़' वो अक्सर अपना जी बहलाते हैं
गीत ग़ज़ल क़ितए' और नज़्में छोटे बच्चे क्या जानें
एजाज़ अहमद एजाज़
ग़ज़ल
नज़्म हो या हो रुबा'ई कहिये या क़ित'आ जनाब
शा'इरी की सिंफ़ का शहबाज़ है उर्दू ग़ज़ल
आतिश मुरादाबादी
ग़ज़ल
बयान-ए-ज़ुल्फ़-ए-चलीपा में क़ितआ लिख लिख कर
दिखाए ख़त्त-ए-शिकस्ता का पेच-ओ-ताब क़लम
पीर शेर मोहम्मद आजिज़
ग़ज़ल
इस नफ़्स-ए-काफ़िर-कश की ख़सलत तुझे मालूम नहिं
गर क़त्ल कीता नहिं उसे तुझ को मिले दिलदार कब