आपकी खोज से संबंधित
परिणाम "counter"
ग़ज़ल के संबंधित परिणाम "counter"
ग़ज़ल
फ़िराक़ गोरखपुरी
ग़ज़ल
गर रंग भबूका आतिश है और बीनी शोला-ए-सरकश है
तो बिजली सी कौंदे है परी आरिज़ की चमक फिर वैसी ही
बहादुर शाह ज़फ़र
ग़ज़ल
कौंदे से लपके पड़ते हैं चुटकी भर नीलाहट से
तारों में मंज़र खुलने से पहले की हैरानी है
अम्बरीन सलाहुद्दीन
ग़ज़ल
गाढ़ी तारीकी में भारी बर्ग-ए-ख़्वाहिश की महक
मिस्ल कौंदे के मकाँ अंदर मकाँ सुनते रहो
शम्सुर रहमान फ़ारूक़ी
ग़ज़ल
तिरी बादले की ये ओढ़नी अरे बर्क़ कौंदे नज़र में तब
करे ये घटा जो मुक़ाबला किसी पेशवाज़ के घेर से
इंशा अल्लाह ख़ान इंशा
ग़ज़ल
गूँज मिरे गम्भीर ख़यालों की मुझ से टकराती है
आँखें बंद करूँ या खोलूँ बिजली कौंदे जाती है
सहबा अख़्तर
ग़ज़ल
मैं अपने खूंटे के बल कूदता हूँ ऐ मुनइ'म
जो ज़ोर है मिरे बाज़ू में तेरे ज़र में नहीं