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ग़ज़ल
लहू में नहा के वो ही चला लिखा था जबीं पे जिस की ख़ुदा
थे और भी दा'वे-दार यहाँ मगर वो इमाम हो न सके
aaj ik aur baras biit gayā us ke baġhair
jis ke hote hue hote the zamāne mere
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लहू में नहा के वो ही चला लिखा था जबीं पे जिस की ख़ुदा
थे और भी दा'वे-दार यहाँ मगर वो इमाम हो न सके