आपकी खोज से संबंधित
परिणाम "dahak"
ग़ज़ल के संबंधित परिणाम "dahak"
ग़ज़ल
दानिश नक़वी
ग़ज़ल
शो'ला-ए-गुल की बढ़ा देती है लौ-ए-बाद-ए-बहार
तह-ए-शबनम भी दहक उठती है इक चिंगारी
अली सरदार जाफ़री
ग़ज़ल
दहक उट्ठा बदन उस का हमारे शो'ला-ए-लब से
जला लेकिन बदन अपना भी आतिश-बाज़ियाँ बन कर