आपकी खोज से संबंधित
परिणाम "dahkaa.e"
ग़ज़ल के संबंधित परिणाम "dahkaa.e"
ग़ज़ल
दिल की आग जवानी के रुख़्सारों को दहकाए है
बहे पसीना मुखड़े पर या सूरज पिघला जाए है
अली सरदार जाफ़री
ग़ज़ल
होंटों पर तो दरियाओं के क़िस्से हैं आबाद मगर
ज़ेहनों में फिरते हैं केवल अंगारे दहकाए लोग
कृष्ण कुमार नाज़
ग़ज़ल
अहमद सलमान
ग़ज़ल
उलझन सी होने लगती थी मुझ को अक्सर और वो यूँ
मेरा मिज़ाज-ए-इश्क़ था शहरी उस की वफ़ा दहक़ानी थी
जौन एलिया
ग़ज़ल
यूँ तो आज भी तेरा दुख दिल दहला देता है लेकिन
तुझ से जुदा होने के बाद का पहला हफ़्ता एक तरफ़
तहज़ीब हाफ़ी
ग़ज़ल
यहाँ तो ख़ुद तिरी हस्ती है इश्क़ को दरकार
वो और होंगे जिन्हें मुस्कुरा के लूट लिया