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ग़ज़ल
दर्शन सिंह
ग़ज़ल
ख़ालिद नदीम शानी
ग़ज़ल
जहाँ कुछ ख़ास लोगों पर निगाह-ए-लुत्फ़ है 'दर्शन'
अगर उस बज़्म में दौर-ए-अवाम आया तो क्या होगा
दर्शन सिंह
ग़ज़ल
बा'द सय्यद के मैं कॉलेज का करूँ क्या दर्शन
अब मोहब्बत न रही इस बुत-ए-बे-पीर के साथ