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ग़ज़ल
मेरी निगाह में तो ग़ज़ल है उसी का नाम
जिस की रगों में दौड़ता ख़ून-ए-जिगर फिरे
फ़ना निज़ामी कानपुरी
ग़ज़ल
जोश घटता जाता था टूटते से जाते थे हौसले
और सामने 'बानी' दौड़ता सा जाता था रास्ता