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ग़ज़ल
जब हो चुकी शराब तो मैं मस्त मर गया
शीशे के ख़ाली होते ही पैमाना भर गया
पंडित दया शंकर नसीम लखनवी
ग़ज़ल
मैं बोसा लूँगा बहाने बताइये न मुझे
जो दिल लिया है तो क़ीमत दिलाइये न मुझे
पंडित दया शंकर नसीम लखनवी
ग़ज़ल
दया दम नज़अ में गो आप ने पर रूह चल निकली
किसी के रोकने से जाने वाले कब ठहरते हैं
लाला माधव राम जौहर
ग़ज़ल
आँचल में छुपी ममता की मया कथरी में दबी भगवन की दया
लाता है कोई संदेश नया पल पल में बदलना करवट का
बेकल उत्साही
ग़ज़ल
तिफ़्ली में थी इक दाया हैं अब चार के काँधे
आग़ाज़ से क्या ख़ूब है अंजाम हमारा