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ग़ज़ल
देश से जब प्रदेश सिधारे हम पर ये भी वक़्त पड़ा
नज़्में छोड़ी ग़ज़लें छोड़ी गीतों का बेवपार किया
जाँ निसार अख़्तर
ग़ज़ल
ये मत खाओ वो मत पहनो इश्क़ तो बिल्कुल करना मत
देशद्रोह की छाप तुम्हारे ऊपर भी लग जाएगी
गौहर रज़ा
ग़ज़ल
वो देश की मिट्टी से मोहब्बत नहीं करते
जो माँ की तरह हिन्द की इज़्ज़त नहीं करते
इक़बाल अहमद इक़बाल
ग़ज़ल
मुद्दत से रेत के सहरा में आया न गया बादल कोई
किस देश गए सारे पंछी सूखा है शजर तन्हा तन्हा
बशीर बद्र
ग़ज़ल
शीशा जब भी टूटेगा झंकार फ़ज़ा में गूँजेगी
जब ही कोमल देश दुलारे पत्थर से टकराए हैं
जमील अज़ीमाबादी
ग़ज़ल
मोहब्बत में नहीं है फ़र्क़ जीने और मरने का
उसी को देख कर जीते हैं जिस काफ़िर पे दम निकले
मिर्ज़ा ग़ालिब
ग़ज़ल
न उन के क़ौल ही सच्चे न उन के तोल ही सच्चे
ये कैसे देश के ताजिर हैं कैसे ब्योपारी हैं