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ग़ज़ल
जिसे कहती है दुनिया कामयाबी वाए नादानी
उसे किन क़ीमतों पर कामयाब इंसान लेते हैं
फ़िराक़ गोरखपुरी
ग़ज़ल
जिस दिन वो मिलने आई है उस दिन की रूदाद ये है
उस का बलाउज़ नारंजी था उस की सारी धानी थी
जौन एलिया
ग़ज़ल
शफ़क़ धनक महताब घटाएँ तारे नग़्मे बिजली फूल
इस दामन में क्या क्या कुछ है दामन हाथ में आए तो
अंदलीब शादानी
ग़ज़ल
ढंग की बात कहे कोई, तो बोलूँ मैं भी
मतलबी हूँ, किसी मतलब से अलग बैठा हूँ
पीर नसीरुद्दीन शाह नसीर
ग़ज़ल
क़सम दे कर उन्हें ये पूछ लो तुम रंग-ढंग उस के
तुम्हारी बज़्म में कुछ दोस्त भी दुश्मन के बैठे हैं
दाग़ देहलवी
ग़ज़ल
गरज-बरस प्यासी धरती पर फिर पानी दे मौला
चिड़ियों को दाने बच्चों को गुड़-धानी दे मौला