आपकी खोज से संबंधित
परिणाम "dhalnaa"
ग़ज़ल के संबंधित परिणाम "dhalnaa"
ग़ज़ल
हमारे दिल-जज़ीरे पर उतरता ही नहीं कोई
कहें किस से कि इस मिट्टी ने किस साँचे में ढलना है
जलील ’आली’
ग़ज़ल
अभी तक याद है कल की शब-ए-ग़म और तन्हाई
फिर इस पर चाँद का ढलना 'क़मर' आहिस्ता आहिस्ता
क़मर जलालवी
ग़ज़ल
क्या ख़बर जिस का यहाँ इतना उड़ाते हैं मज़ाक़
ख़ुद हमें भी कभी इस रंग में ढलना पड़ जाए
ज़फ़र इक़बाल
ग़ज़ल
'कैफ़' कभी इक शेर में ढलना होता है दुश्वार
और कभी ख़ुद बन जाते हैं अफ़्साने अल्फ़ाज़