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ग़ज़ल
जो आसमाँ सा हमारी नज़र में रहता है
वो कुछ धुआँ सा हमारी नज़र में रहता है
धर्मेन्द्र तिजोरी वाले आज़ाद
ग़ज़ल
दिल का किसी को हाल बताया नहीं गया
इस तरह अश्क कोई भी ज़ाएअ' नहीं गया
धर्मेन्द्र तिजोरी वाले आज़ाद
ग़ज़ल
है अजनबी ना-आश्ना वो घर तिरा ये घर मिरा
दिल की तरह फिर क्यों जला वो घर तिरा ये घर मिरा
धर्मेन्द्र तिजोरी वाले आज़ाद
ग़ज़ल
तुम से तो कुछ भी कम मिरी चाहत नहीं रही
ऐसा भी क्या हुआ कि मोहब्बत नहीं रही
धर्मेन्द्र तिजोरी वाले आज़ाद
ग़ज़ल
आँखों से रिसते पानी की बात बतानी मुश्किल है
पार समुंदर जाने वाले प्रीत निभानी मुश्किल है
मिताली राज तिवारी
ग़ज़ल
कँवल हों आब में ख़ुश गुल सबा में शाद रहें
तिरे हज़ीं तिरी आब-ओ-हवा में शाद रहें
अली अकबर नातिक़
ग़ज़ल
सितम-गर के सितम पर नौहा-ख़्वानी कर नहीं सकते
है ये इक कारोबार-ए-राएगानी कर नहीं सकते
आशुतोष तिवारी
ग़ज़ल
मिरी वफ़ा के फ़लक पर गए हैं अफ़्साने
ज़मीन वाले हक़ीक़त न मेरी पहचाने
मिर्ज़ा ग़ुलाम अब्बास ज़ाहिर हैदरी
ग़ज़ल
कल तलक जो था तसव्वुर अंजुमन-आराइयों का
वो मुक़द्दर बन गया है अब मिरी तन्हाइयों का