आपकी खोज से संबंधित
परिणाम "dhol"
ग़ज़ल के संबंधित परिणाम "dhol"
ग़ज़ल
देखा मैं साथ ढोल के सूली पर उन का सर
फ़ख़्रिय्या वो जो फिरते थे तब्ल-ओ-अलम के साथ
इंशा अल्लाह ख़ान इंशा
ग़ज़ल
भूकी नंगी जनता कब तक पेट का ढोल बजाएगी
बोलो बाबू कुछ तो बोलो क्या रक्खा है नारों में
फ़िरोज़ नातिक़ ख़ुसरो
ग़ज़ल
बचपन याद के रंग-महल में कैसे कैसे फूल खिले
ढोल बजे और आँसू टपके कहीं मोहर्रम होने लगा
अब्दुल हमीद
ग़ज़ल
बात फ़क़त इतनी है वाइज़ दूर का ढोल सुहाना है
वर्ना जन्नत अपनी जगह है मय-ख़ाना मय-ख़ाना है