aaj ik aur baras biit gayā us ke baġhair
jis ke hote hue hote the zamāne mere
परिणाम "digar-baar"
बार-ए-वहशत कोई उठाता क्यासो दिगर बार दिल पे बार आया
जागना था मिरा हंगामा-ए-हस्ती का सबबहश्र बरपा भी दिगर-बार उठाने से हुआ
बार-ए-दीगर ये फ़लसफ़े देखूँज़ख़्म फिर से हरे-भरे देखूँ
क्यूँ मैं बार-ए-दिगर जाऊँफिर से उस के दर जाऊँ
तिरे बनाए को बार-ए-दिगर बनाते हुएमैं थक गया हूँ दरीचों को दर बनाते हुए
'इश्क़ बार-ए-दिगर हुआ ही नहींदिल लगाया था दिल लगा ही नहीं
जाने वाले तुझे कब देख सकूँ बार-ए-दिगररौशनी आँख की बह जाएगी आँसू बन कर
सर पर हमारे बार-ए-दिगर कौन दे गयाआख़िर सफ़र में रख़्त-ए-सफ़र कौन दे गया
किसी पे बार-ए-दिगर भी निगाह कर न सकेकोई भी शौक़ ब-हद्द-ए-गुनाह कर न सके
फिर इस से क़ब्ल कि बार-ए-दिगर बनाया जाएये आईना है इसे देख कर बनाया जाए
जब नज़र आए वो मुझ को बार-ए-दिगरमो'तबर हो गई और ताब-ए-नज़र
दो-चार बार हम जो कभी हँस-हँसा लिएसारे जहाँ ने हाथ में पत्थर उठा लिए
वही ज़ुल्म बार-ए-दिगर है तो फिरवही जुर्म बार-ए-दिगर कीजिए
पेश-रौ बारगाह में पहुँचेया'नी बार-ए-दिगर सिफ़ारिश की
उन से बार-ए-दिगर नहीं निस्बतवो जो बार-ए-दिगर में रहते हैं
फिर दोबारा नज़र नहीं उठतीइश्क़ बार-ए-दिगर नहीं होता
हो भी सकता है पर नहीं होताप्यार बार-ए-दिगर नहीं होता
बशर को चाहने अंजाम-ए-कार की कुछ फ़िक्रजहान में कोई बार-ए-दिगर नहीं आता
तेरी चौखट को अगर छोड़ा किधर जाऊँगादुनिया सी एक जगह बार-ए-दिगर जाऊँगा
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