आपकी खोज से संबंधित
परिणाम "dil ka kya rang karun khalida mahmood ebooks"
ग़ज़ल के संबंधित परिणाम "dil ka kya rang karun khalida mahmood ebooks"
ग़ज़ल
असर इतना तो हो या-रब हमारे जज़्बा-ए-दिल का
बग़ैर-ए-इल्तिजा पर्दा उलट दे कोई महमिल का
शिफ़ा ग्वालियारी
ग़ज़ल
है बरहम फिर मिज़ाज उन का दिल-ए-नाकाम क्या होगा
यही सूरत रही तो इश्क़ का अंजाम क्या होगा
कशफ़ी लखनवी
ग़ज़ल
फिर वही लुत्फ़-ए-ख़लिश हो वही सोज़िश देखूँ
क्या बिगाड़ेगी मिरा चर्ख़ की गर्दिश देखूँ