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ग़ज़ल
नूर-ए-ईमाँ सुर्मा-ए-चश्म-ए-दिल-ओ-जाँ कीजिए
पर्दा-दार-ए-हुस्न-ए-यकता चश्म-ए-हैराँ कीजिए
साहिर देहल्वी
ग़ज़ल
कूचा-हा-ए-दिल-ओ-जाँ की तीरा-शबो आस मरती नहीं
आख़िरी साँस भरते सितारो सुनो आस मरती नहीं
सीमाब ज़फ़र
ग़ज़ल
तक़ाज़ा-ए-दिल-ओ-जाँ का कहीं दरमाँ नहीं मिलता
दयार-ए-दर्द में तस्कीन का सामाँ नहीं मिलता
अब्दुल अज़ीज़ ख़ालिद
ग़ज़ल
हम जो दिन-रात ये इत्र-ए-दिल-ओ-जाँ खींचते हैं
नफ़अ' कम करते हैं ऐ यार ज़ियाँ खींचते हैं
वाली आसी
ग़ज़ल
नक़्द-ए-दिल-ओ-जाँ उस की ख़ातिर रहन-ए-जाम करो
'मीर' के बादा-ए-ग़म-ख़ुर्दा को मय-ख़्वारों में आम करो
शाहिद इश्क़ी
ग़ज़ल
पूछ न हम से कैसे तुझ तक नक़्द-ए-दिल-ओ-जाँ लाए हम
किन राहों से बच कर निकले किस किस से कतराए हम
ज़ुबैर रिज़वी
ग़ज़ल
ग़म-ए-हस्ती न कुछ फ़िक्र-ए-दिल-ओ-जाँ है जहाँ मैं हूँ
कि हर हर गाम पर कोई निगहबाँ है जहाँ मैं हूँ
कैफ़ मुरादाबादी
ग़ज़ल
यूँ दिल ओ जान की तौक़ीर में मसरूफ़ था मैं
जैसे अज्दाद की जागीर में मसरूफ़ था मैं