आपकी खोज से संबंधित
परिणाम "diqqat"
ग़ज़ल के संबंधित परिणाम "diqqat"
ग़ज़ल
सब दोस्त मिरे मुंतज़िर-ए-पर्दा-ए-शब थे
दिन में तो सफ़र करने में दिक़्क़त भी बहुत थी
परवीन शाकिर
ग़ज़ल
मबादा उस को दिक़्क़त हो निशाने तक पहुँचने में
सो मैं ने फूल से दीवार के रख़्ने को भरना है
अब्बास ताबिश
ग़ज़ल
हमें तो रोने में कोई दिक़्क़त नहीं है लेकिन
वो पूछना था कि रोने वालों का क्या बनेगा
जहाँज़ेब साहिर
ग़ज़ल
उक़्दा तो बे-शक खुला लेकिन ब-सद-दिक़्क़त खुला
काम तो बे-शक बना लेकिन ब-सद मुश्किल बना
आज़ाद अंसारी
ग़ज़ल
नई तहज़ीब में दिक़्क़त ज़ियादा तो नहीं होती
मज़ाहिब रहते हैं क़ाइम फ़क़त ईमान जाता है
अकबर इलाहाबादी
ग़ज़ल
सुख़न-सराई में होती नहीं मुझे दिक़्क़त
मिरे दिमाग़ में जलते हैं शायरी के चराग़
अली अफ़ज़ल झंझानवी
ग़ज़ल
जलसा-ए-आम में दिक़्क़त नहीं होती उन को
जो समझते हैं इशारों में कलाम-ए-मख़्सूस