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ग़ज़ल
मजीद अमजद
ग़ज़ल
दिल में ज़ख़्मों की दुखन होंटों पे आहों का धुआँ
ज़िंदगी भर की वफ़ाओं का सिला है यारो
क़मर उस्मानी
ग़ज़ल
दिलबर-ए-शोला-ख़ू ने जब ज़ुल्फ़ को रुख़ पे वा किया
दिल पे मैं सूरा-ए-दुख़ाँ करने को दम पढ़ा किया
शाह नसीर
ग़ज़ल
तिरे बख़्शे हुए ज़ख़्मों को लम्हे भर गए लेकिन
अभी तक दिल के पहलू में दुखन महसूस होती है
इल्यास राहत
ग़ज़ल
दिल से दिल पास हैं तो भी है दिलों की ख़्वाहिश
क्या दिलों की कहीं दिल्ली में दुकाँ कीजिएगा
अब्दुल रहमान एहसान देहलवी
ग़ज़ल
क्या मिला नग़्मा-ओ-रंग के शौक़ से शे'र के ज़ौक़ से
इक चुभन इक दुखन एक वामांदगी नींद आने लगी