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ग़ज़ल
किसी भी तरह रिश्वत दे के पक्की नौकरी कर लो
मियाँ ड्यूटी तुम्हें ले दे के सरकारी तो करनी है
तशना आज़मी
ग़ज़ल
दिल-बस्तगी सी है किसी ज़ुल्फ़-ए-दुता के साथ
पाला पड़ा है हम को ख़ुदा किस बला के साथ
मोमिन ख़ाँ मोमिन
ग़ज़ल
मिरी निगाहों में दोनों जहाँ हुए तारीक
ये आप खोल के ज़ुल्फ़-ए-दुता किधर को चले
भारतेंदु हरिश्चंद्र
ग़ज़ल
अभी अधूरे हैं गीत मेरे अभी अधूरी सी दास्ताँ है
न चाँद निकला न तारे दमके न मुस्कुराती वो कहकशाँ है
दत्ता साग़र
ग़ज़ल
किस को मैं दूत कहूँ किस को मैं दुश्मन जानूँ
सभी अपने हैं यहाँ कोई पराया भी नहीं
फ़ैज़ुल हसन ख़्याल
ग़ज़ल
कर के कौनैन को ज़ंजीरी-ए-गेसू-ए-दराज़
ज़ुल्फ़-ए-पेचाँ को दुता करते हो क्या करते हो
मुज़फ़्फ़र शिकोह
ग़ज़ल
आग़ा हज्जू शरफ़
ग़ज़ल
झुक गया वो शह-ए-हुस्न आ के गदा से पहले
ख़म हुई ज़ुल्फ़-ए-दुता क़द्द-ए-दोता से पहले