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ग़ज़ल
शौक़ है उस को भी तर्ज़-ए-नाला-ए-उश्शाक़ से
दम-ब-दम छेड़े है मुँह से दूद-ए-क़ुल्याँ छोड़ कर
शेख़ इब्राहीम ज़ौक़
ग़ज़ल
शोले की जूँ मदद करे दूद-ए-नख़स्त-ए-ख़ार-ओ-ख़स
मिस्सी से और धुआँ हुईं होंटों की उस की लालियाँ
मुसहफ़ी ग़ुलाम हमदानी
ग़ज़ल
दूद-ए-अफ़्ग़ान-ओ-रग-ए-जान-ओ-सुवैदा दिल में है
बंद है क़िंदील के अंदर धुआँ बत्ती चराग़
अहमद हुसैन माइल
ग़ज़ल
दूदए-चराग़ए-सुब्ह में जैसे सहमी सिमटी रात
रौशन है फ़ानी मंज़र उस का ला-फ़ानी में
मोहम्मद अहमद रम्ज़
ग़ज़ल
बू-ए-गुल नाला-ए-दिल दूद-ए-चराग़-ए-महफ़िल
बज़्म की बज़्म परेशाँ है ग़ज़ल क्या कहिए
शमीम फ़ारूक़ बांस पारी
ग़ज़ल
हमारी आह बिजली की तरह तड़पेगी ऐ 'वहबी'
बनेगा आसमाँ जिस वक़्त दूद-ए-आतिश-ए-दिल का
मुंशी शिव परशाद वहबी
ग़ज़ल
लगा दी आतिश-ए-ख़ामोश क्या सोज़-ए-मोहब्बत ने
इलाही ख़ैर दूद-ए-आह-ए-सोज़ाँ दिल से उठता है
शेर सिंह नाज़ देहलवी
ग़ज़ल
मुज़्दा ये सबा उस बुत-ए-बे-बाक को पहुँचा
ये दूद-ए-दिल-ए-सोख़्ता अफ़्लाक को पहुँचा
मिर्ज़ा मोहम्मद तक़ी हवस
ग़ज़ल
याद-ए-गेसू में परेशाँ किस क़दर दिल हो गया
इंतिहा ये है कि दूद-ए-शम्अ'-ए-महफ़िल हो गया