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ग़ज़ल
फ़रेब-ए-सूद-ओ-ज़ियाँ में कभी न आने का
भुला के ख़ुद को ख़ुदी से अजी मिलाया हूँ
ज़ाकिर हुसैन हलसंगी
ग़ज़ल
वो दिल जो कुश्ता-ए-ग़म-ए-सूद-ओ-ज़ियाँ न था
शाइस्ता-ए-नवाज़िश-ए-दौर-ए-जहाँ न था
अब्दुल अज़ीज़ फ़ितरत
ग़ज़ल
अंदेशा-हा-ए-सूद-ओ-ज़ियाँ तक न आ सके
हम जिस जगह थे लोग वहाँ तक न आ सके
सय्यद मुज़फ़्फ़र अहमद ज़िया
ग़ज़ल
अब कहाँ तख़्मीना-ए-सूद-ओ-ज़ियाँ रखता हूँ मैं
बे-मकाँ हूँ रस्म-ओ-राह-ए-ला-मकाँ रखता हूँ मैं
वाहिद नज़ीर
ग़ज़ल
जवाँ था दिल न था अंदेशा-ए-सूद-ओ-ज़ियाँ पहले
वो थे क्या मेहरबाँ सारा जहाँ था मेहरबाँ पहले
जामी रुदौलवी
ग़ज़ल
जवाँ था दिल न था अंदेशा-ए-सूद-ओ-ज़ियाँ पहले
वो थे क्या मेहरबाँ सारा जहाँ था मेहरबाँ पहले
जामी रुदौलवी
ग़ज़ल
ग़म-ए-सूद-ओ-ज़ियाँ से ख़ुद को जो आज़ाद रखता है
कोई मौसम भी हो दिल को हमेशा शाद रखता है
सईद राही
ग़ज़ल
दयार-ए-शौक़ में मुझ को ग़म-ए-सूद-ओ-ज़ियाँ क्यों हो
जो लुट जाए न राहों में वो मेरा कारवाँ क्यों हो
जयकृष्ण चौधरी हबीब
ग़ज़ल
ग़म-ए-दिल से ग़म-ए-सूद-ओ-ज़ियाँ तक बात आ पहुँची
मोहब्बत का ख़ुदा-हाफ़िज़ यहाँ तक बात आ पहुँची