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ग़ज़ल
फ़रेब-ए-वा'दा-ए-फ़र्दा है और झूटी तसल्ली बस
तअ'ल्लुक़ आप का है क्या सियासत के घराने से
ज़ेबुन्निसा ज़ेबी
ग़ज़ल
फ़रेब-ए-वा'दा-ए-फ़र्दा बहुत ग़नीमत है
मिज़ाज-ए-दोस्त अगर उस्तुवार रहने दे
चंद्र प्रकाश जौहर बिजनौरी
ग़ज़ल
आशिक़ फ़रेब-ए-वा'दा-ए-फ़र्दा में आ गया
जैसे तुम्हारी बात कोई बात हो गई
मुमताज़ अहमद ख़ाँ ख़ुशतर खांडवी
ग़ज़ल
फ़रेब-ए-वा'दा-ए-फ़र्दा का पर्दा ही रहे या-रब
छिड़ी है बहस इस मौज़ूअ' पर उम्मीदवारों में
साहिर सियालकोटी
ग़ज़ल
फ़रेब-ए-वा'दा-ए-फ़र्दा का इतना सेहर है मुझ पर
कभी वो हाँ भी कह दें तो नहीं मालूम होती है
साहिर सियालकोटी
ग़ज़ल
फ़रेब-ए-वा'दा-ए-फ़र्दा बहुत ही 'आरज़ी शय है
रहेंगे 'उम्र भर इस दिल पे चोटों के निशाँ बाक़ी
रुख़्साना निकहत लारी उम्म-ए-हानी
ग़ज़ल
बढ़ाओ वा'दा-ए-फ़र्दा पे तुम अपनी इबादत भी
कि फ़र्दा क्या न भूलूँगा मैं फ़र्दा-ए-क़यामत भी
नादिर काकोरवी
ग़ज़ल
सुनहरा ही सुनहरा वादा-ए-फ़र्दा रहा होगा
क़यास-आराई का बे-साख़्ता लम्हा रहा होगा
सुबोध लाल साक़ी
ग़ज़ल
किसी के वादा-ए-फ़र्दा पर ए'तिबार तो है
तुलू-ए-सुब्ह-ए-क़यामत का इंतिज़ार तो है