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ग़ज़ल
नहीं अपनी ख़बर 'फ़रहान' को लेकिन ब-सद हैरत
वो अपने साथ हर दम सुब्ह का अख़बार रखता है
फ़रहान हनीफ़ वारसी
ग़ज़ल
तिरे मिलने से ही ठंडा दिल-ए-आतिश-फ़शाँ होगा
ज़रा सी आँच होगी कम जो सीने में धुआँ होगा
अख़्तर आज़मी
ग़ज़ल
दिल न करे अगर यक़ीं दिल पे है इख़्तियार क्या
आप पे ए'तिबार है वा'दे का ए'तिबार क्या
सय्यद अख़्तर अली अख़्तर
ग़ज़ल
दयार-ए-इश्क़ में ऐसे भी हैं मक़ाम बहुत
जहाँ जुनून का होता है एहतिराम बहुत
हामिद-उल-अंसारी अंजुम
ग़ज़ल
मोहब्बत की डगर पर अब निकल आया है दीवाना
बहुत लम्बे सफ़र पर अब निकल आया है दीवाना
अदनान अख़्तर आज़मी
ग़ज़ल
तन्हा न महर में है रुख़-ए-यार की तरह
मह में तमाम उस के है रुख़्सार की तरह