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ग़ज़ल
मिटा डाला मुझे फिर भी ये है बेदाद की हसरत
अभी फ़ेहरिस्त-ए-मौजूदात में शामिल समझते हैं
मिर्ज़ा मोहम्मद हादी अज़ीज़ लखनवी
ग़ज़ल
वक़्त के होंटों पे रक़्साँ हैं मस्ती का इक राग लिए
सुब्ह-ए-क़यामत के हंगामे हुस्न-ए-मौजूदात के नाम
अमानुल्लाह ख़ालिद
ग़ज़ल
नदीम सिरसीवी
ग़ज़ल
फ़िहरिस्त-ए-जाँ-निसाराँ में ख़ुश-बख़्त और हैं
'साइर' का तो शुमार कभी है कभी नहीं