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ग़ज़ल
गुज़रती हैं जो फ़ील-ए-शब पे सज-धज कर तिरी यादें
हम उन पर अपने सग-हा-ए-तमन्ना छोड़ देते हैं
मोहम्मद आज़म
ग़ज़ल
उन के ख़त महफ़ूज़ हैं अब तक मेरे ख़ुतूत की फ़ाइल में
क़समें वादे अहद ओ पैमाँ प्यार भरी तहरीरें हैं
शम्स फ़र्रुख़ाबादी
ग़ज़ल
दिल सियह-मस्त-ए-जुनूँ है जब से यूँ डाला है शोर
जियूँ हो फ़ील-ए-मस्त की ज़ंजीर खुल जाने में धूम
इश्क़ औरंगाबादी
ग़ज़ल
बने नौकर हुकूमत के गई हाथों से आज़ादी
कि अब दिन-रात हम फ़ाइल की अलमारी में जीते हैं
अमान ज़ख़ीरवी
ग़ज़ल
इक लफ़्ज़-ए-मोहब्बत का अदना ये फ़साना है
सिमटे तो दिल-ए-आशिक़ फैले तो ज़माना है