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ग़ज़ल
नवेद-ए-जाँ-फ़िज़ा है क्या ख़बर क़ातिल के आने की
बताओ तो सही तुम 'दाग़' ऐसे शादमाँ क्यूँ हो
दाग़ देहलवी
ग़ज़ल
उस की सुब्हें दिल-कुशा हैं उस की शामें जाँ-फ़िज़ा
खो गया जो शख़्स लुत्फ़-ए-नाला-ए-शब-गीर में
क़ासिम जलाल
ग़ज़ल
किसी की बू-ए-पैराहन गुलिस्ताँ से गुज़रती है
शमीम-ए-जाँ-फ़िज़ा बन कर कभी बाद-ए-सबा हो कर
राज कुमार सूरी नदीम
ग़ज़ल
उम्मीद-ए-शौक़ हो या वादा-ए-राहत-ٖफ़िज़ा कोई
मरीज़-ए-इश्क़ को अच्छा नहीं करती दवा कोई
ऋषि पटियालवी
ग़ज़ल
नसीम आई बहार आई पयाम-ए-जाँ-फ़िज़ा लाई
'ख़याली' ज़िंदगी अब ज़िंदगी मा'लूम होती है
मोहम्मद नईमुल्लाह ख़्याली
ग़ज़ल
सरापा सोज़ लेकिन जाँ-फ़िज़ा मा'लूम होती है
सदा-ए-साज़-ए-दिल हक़ की सदा मा'लूम होती है
राज़ चाँदपुरी
ग़ज़ल
ज़िक्र वा'दे का ज़बाँ पर जो 'फ़ज़ा' की आया
बात इतनी सी थी लेकिन वो बुरा मान गया
हैदर हुसैन फ़िज़ा लखनवी
ग़ज़ल
तुम्हारे देखने को हसरत-ए-हैरत-फ़ज़ा ठहरी
दिल-ए-महज़ूँ से निकली दीदा-ए-बिस्मिल में आ ठहरी
जमीला ख़ुदा बख़्श
ग़ज़ल
अजब अंदाज़ से आई है कुछ अठखेलियाँ करती
शमीम-ए-जाँ-फ़िज़ा के पास कुछ पैग़ाम है शायद
राज कुमार सूरी नदीम
ग़ज़ल
मिलन की साअ'तों में जाँ-फ़िज़ा ख़ुश्बू अनोखी है
हमा-दम रक़्स करती है अजब इक बे-ख़ुदी साहब
शुमाइला बहज़ाद
ग़ज़ल
जावेद सिद्दीक़ी आज़मी
ग़ज़ल
अजब तिलिस्मी फ़िज़ा है सारी बलाएँ चुप हैं
ये किस बयाबाँ में रात दिन हम गुज़ारते हैं
अमीर हम्ज़ा साक़िब
ग़ज़ल
है नाज़ 'फ़ज़ा' को भी बहुत इश्क़ पे अपने
गर हुस्न-ओ-नज़ाकत में वो मशहूर बहुत है
हैदर हुसैन फ़िज़ा लखनवी
ग़ज़ल
जमाल-ए-जाँ-फ़िज़ा का उन के दिलकश दिल-रुबा जल्वा
ज़मीं से आसमाँ तक है मकाँ से ला-मकाँ तक है
उरूज क़ादरी
ग़ज़ल
उस की उल्फ़त में बहुत बादिया-पैमाई की
ऐ 'फ़ज़ा' पाँव के छालों में तपक है कि नहीं