aaj ik aur baras biit gayā us ke baġhair
jis ke hote hue hote the zamāne mere
परिणाम "fry"
घर की मुश्किल कोई हल चाहती हैमुझ से वो ताज-महल चाहती है
अच्छी-ख़ासी रुस्वाई का सबब होती हैदूसरी औरत पहली जैसी कब होती है
आँख और नींद के रिश्ते मुझे वापस कर देमेरे ख़्वाबों के जज़ीरे मुझे वापस कर दे
समुंदर सर पटक कर मर रहा थातो मैं जीने की कोशिश कर रहा था
उम्र भर एक सी उलझन तो नहीं बन सकतेदोस्त बन जाएँ कि दुश्मन तो नहीं बन सकते
आइने रूप चुरा लेंगे उधर मत देखोतुम को बातों में फँसा लेंगे उधर मत देखो
इश्क़ झेला है तो चेहरा ज़र्द होना चाहिएहुस्न के शैदाइयों को मर्द होना चाहिए
सभी यूँ रोएँगे तो मेरा रोना कौन देखेगासँभालो दोस्तो ख़ुद को क्रोना कौन देखेगा
बग़ैर नक़्शे के सारे मकान लगते हैंये जितने घर हैं क़ज़ा की दुकान लगते हैं
या तो तारीख़ की अज़्मत से लिपट कर सो जाया किसी टूटे हुए बुत से चिमट कर सो जा
उस की हर बात ने जादू सा किया था पहलेकितना दिलचस्प कहानी का ख़ुदा था पहले
दिया जला के कोई चाँद पर रखा होगाउसी के साए में वो हम को ढूँढता होगा
ग़म दुनिया के याद जब आएँ उस की याद भी आने दोइक नश्शे में और इक नश्शा ऐ यारो मिल जाने दो
कोई आँख चुपके चुपके मुझे यूँ निहारती हैमिरे दिल में इक तमन्ना कहीं सर उभारती है
ख़र्च जब हो गई जज़्बों की रक़म आप ही आपखुल गया हम पे हसीनों का भरम आप ही आप
क़ानून से हमारी वफ़ा दो तरह की हैइंसाफ़ दो तरह का सज़ा दो तरह की है
मिरे घर की ईंटें चुरा ले गया वोनहीं जानता है कि क्या ले गया वो
कहा किस ने हमेशा प्यार देनाकभी तो जान का आज़ार देना
आँखों से जो ओझल है वो महबूब ही होगाये ख़्वाब अगर ख़ूब है तो ख़ूब ही होगा
मैं बंद लिफ़ाफ़े में पड़ा हूँ मुझे खोलोपढ़ लो मुझे फिर जी जो नहीं चाहे न बोलो
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