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ग़ज़ल
सब हसीनों से ग़लत-फ़हमी का तूफ़ाँ निकला
वो सर-ए-बज़्म-ए-निगाराँ जो नुमायाँ निकला
अबरार किरतपुरी
ग़ज़ल
उसे तुम से मोहब्बत है ग़लत-फ़हमी में मत रहना
ये बस दिल की शरारत है ग़लत-फ़हमी में मत रहना
आदिल राही
ग़ज़ल
ग़लत-फ़हमी है हम को हम उजाले कर रहे हैं
सुख़न के नाम पर बस सफ़्हे काले कर रहे हैं
अनीस शाह अनीस
ग़ज़ल
है ग़लत-फ़हमी हवा की उस से डर जाता हूँ मैं
हौसला बन कर चराग़ों में उतर जाता हूँ मैं
आसिफ़ रशीद असजद
ग़ज़ल
ख़याल-ए-दूद था सर-जोश-ए-साैदा-ए-ग़लत-फ़हमी
अगर रखती न ख़ाकिस्तर-नशीनी का ग़ुबार आतिश
मिर्ज़ा ग़ालिब
ग़ज़ल
मोहब्बत में ग़लत-फ़हमी का होना लाज़मी शय है
ग़लत-फ़हमी वो गुत्थी है जो सुलझाई नहीं जाती