आपकी खोज से संबंधित
परिणाम "gharonda"
ग़ज़ल के संबंधित परिणाम "gharonda"
ग़ज़ल
ज़ोम और पिंदार का हक़-उल-यक़ीं से है बदल
वो घरोंदा अब तो फ़ानूस-ए-ख़याली हो गया
दत्तात्रिया कैफ़ी
ग़ज़ल
घरों की तर्बियत क्या आ गई टी-वी के हाथों में
कोई बच्चा अब अपने बाप के ऊपर नहीं जाता
वसीम बरेलवी
ग़ज़ल
साहिर लुधियानवी
ग़ज़ल
पाँव में रिश्तों की ज़ंजीरें हैं दिल में ख़ौफ़ की
ऐसा लगता है कि हम अपने घरों में क़ैद हैं
सलीम कौसर
ग़ज़ल
मुद्दत से है आवारा-ए-अफ़्लाक मिरा फ़िक्र
कर दे इसे अब चाँद के ग़ारों में नज़र-बंद