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ग़ज़ल
दिल इक मंदिर मैं मीरा हूँ तू मेरा गिरिधर नागर
तू ही मेरा जीवन है क्या रूठेगी लौ बाती से
बशीर बद्र
ग़ज़ल
दोस्ती की कुछ मिसालें इस तरह भी दी गईं
जब सुदामा को लगी तो साथ गिरिधर रो पड़े
प्रशांत शर्मा दराज़
ग़ज़ल
अधर पर बाँसुरी ले प्रीत का संसार रचती है
कभी गिरिधर कभी मोहन बनाती उँगलियाँ देखो
शुभा शुक्ला मिश्रा अधर
ग़ज़ल
बहादुर शाह ज़फ़र
ग़ज़ल
मुहीत-ए-इश्क़ की हर मौज तूफ़ाँ-ख़ेज़ ऐसी है
वो हैं गिर्दाब में जो दामन-ए-साहिल में रहते हैं
दाग़ देहलवी
ग़ज़ल
हम को सब मालूम है 'मोहसिन' हाल पस-ए-गिर्दाब है क्या
आँख ने सच्चे गुर सीखे हैं सूरज की दरबानी से
मोहसिन असरार
ग़ज़ल
शब कि बर्क़-ए-सोज़-ए-दिल से ज़हरा-ए-अब्र आब था
शो'ला-ए-जव्वाला हर यक हल्क़ा-ए-गिर्दाब था