आपकी खोज से संबंधित
परिणाम "guftagu aur taqree"
ग़ज़ल के संबंधित परिणाम "guftagu aur taqree"
ग़ज़ल
फिर हो रही है उन से तसव्वुर में गुफ़्तुगू
फिर हूँ मैं महव-ए-लज़्ज़त-ए-तक़रीर देखना
मोहम्मद सईद रज़्मी
ग़ज़ल
यही है आरज़ू 'नाज़िर' कि शा'इरी के तुफ़ैल
हमारी 'इज़्ज़त-ओ-तकरीम हर बशर में रहे