आपकी खोज से संबंधित
परिणाम "gurr"
ग़ज़ल के संबंधित परिणाम "gurr"
ग़ज़ल
हम ने कब ये गुर सीखा हम ठहरे सीधे-सादे लोग
जिस की जैसी फ़ितरत देखें उस से वैसी बात करें
अज़ीज़ बानो दाराब वफ़ा
ग़ज़ल
दुनिया वालों के मंसूबे मेरी समझ में आए नहीं
ज़िंदा रहना सीख रहा हूँ अब घर की वीरानी से
मोहसिन असरार
ग़ज़ल
अपने आप को गाली दे कर घूर रहा हूँ ताले को
अलमारी में भूल गया हूँ फिर चाबी अलमारी की
ज़ुल्फ़िक़ार आदिल
ग़ज़ल
मुग़ीसुद्दीन फ़रीदी
ग़ज़ल
घूर लेते थे जफ़ा-कारों को जब मफ़्तूँ न थे
हो गए चौरंग ख़ुद चंगेज़-ख़ानी अब कहाँ
आग़ा हज्जू शरफ़
ग़ज़ल
मगर लिखवाए कोई उस को ख़त तो हम से लिखवाए
हुई सुब्ह और घर से कान पर रख कर क़लम निकले
मिर्ज़ा ग़ालिब
ग़ज़ल
तिरे मरीज़ के गुर सौ 'इलाज हों लेकिन
शिफ़ा न उस के नसीबों में हो तो क्यूँ-कर हो