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ग़ज़ल
ग़ुरूर-ए-नाज़ दिखा तुझ में कितना जौहर है
मिरा ख़ुलूस भी दरिया नहीं समुंदर है
ग़ौस मोहम्मद ग़ौसी
ग़ज़ल
पहेली कौन बूझेगा जवाब-ए-नाज़-ए-जानाँ की
हम उस हूँ को समझते हैं नहीं की उस ने या हाँ की
जुर्म मुहम्मदाबादी
ग़ज़ल
ख़िराम-ए-नाज़-ए-गुलचीं देख कर बाद-ए-सबा ठहरे
बजाएँ चुटकियाँ ग़ुंचे तो बुलबुल की सदा ठहरे
जहूर बिस्वानी
ग़ज़ल
इक़रार-ए-वस्ल और वो मस्त-ए-ग़ुरूर-ए-नाज़
आया है पी के तू कहीं ऐ नामा-बर शराब
क़ुर्बान अली सालिक बेग
ग़ज़ल
इक़रार-ए-वस्ल और वो मस्त-ए-ग़ुरूर-ए-नाज़
आया है पी के तू कहीं ऐ नामा-बर शराब