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ग़ज़ल
अब मुझ को रुख़्सत होना है कुछ मेरा हार-सिंघार करो
क्यूँ देर लगाती हो सखियो जल्दी से मुझे तय्यार करो
शबनम शकील
ग़ज़ल
विकास शर्मा राज़
ग़ज़ल
शीशों की बात और है साग़र की बात और
साक़ी है तेरी चश्म-ए-फ़ुसूँ-गर की बात और