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ग़ज़ल
जुनूँ की ना-तमामी पर मुझे हैरत उन्हें उलझन
गरेबाँ चाक हो जाए तो माथे की शिकन बदले
मुग़ीसुद्दीन फ़रीदी
ग़ज़ल
हैरत-अंगेज़ रंगों में लिपटी हुई मुज़्तरिब नग़्मगी
आज तक अपनी लय में नहीं ढल सकी नींद आने लगी
जमीलुद्दीन आली
ग़ज़ल
ऐ शौक़ की बेबाकी वो क्या तेरी ख़्वाहिश थी
जिस पर उन्हें ग़ुस्सा है इंकार भी हैरत भी
हसरत मोहानी
ग़ज़ल
मुझे हैरत उन्हें शिकवा जबीन-ए-शौक़ सरगर्दां
कि संग-ए-दर पे सज्दों का निशाँ बाक़ी नहीं रहता
अफ़क़र मोहानी
ग़ज़ल
लबों को जुम्बिश ज़रा सा कर दो कि आज 'हैदर'
तड़प रहा है ये उस की आँखें बता रही हैं