आपकी खोज से संबंधित
परिणाम "hashratul arz moha"
ग़ज़ल के संबंधित परिणाम "hashratul arz moha"
ग़ज़ल
पूछते हैं दे के मुझ को दोस्त-दारी का फ़रेब
'कृष्ण'-मोहन दोस्तों से इस क़दर ए'राज़ क्यूँ
कृष्ण मोहन
ग़ज़ल
कृष्ण 'मोहन' तब्अ पर तारी है ऐसी बे-हिसी
इश्क़ है जी का ज़ियाँ और हुस्न है जाँ का वबाल
कृष्ण मोहन
ग़ज़ल
इश्क़ का पहिया घूमेगा लेकिन इस बार कहानी में
राधा गोकुल से और मोहन बरसाने से निकलेगा
सिद्धार्थ साज़
ग़ज़ल
ख़ाल-ए-आरिज़ देख लो हल्क़े में ज़ुल्फ़-ए-यार के
मार-ए-मोहरा गर न देखा हो दहन में मार के